बिरमित्रापुर का मंदिर इक सपना सा लगता है

बिरमित्रापुर का मंदिर इक सपना सा लगता है,
मंदिर का कोना कोना अपना सा लगता है,
बिरमित्रापुर का मंदिर इक सपना सा लगता है,

मंदिर का हर कण कण है हीरे मोती से बढ़ कर,
है पूजने के लायक मंदिर का हर पत्थर,
हर कण कण में दादी का यहाँ प्यार झलकता है,
मंदिर का कोना कोना अपना सा लगता है,
बिरमित्रापुर का मंदिर इक सपना सा लगता है,

हम तो यहा अपनी दादी जी से मिलने आते है,
कुछ दिल की बाते केहने कुछ सुन ने आते है ,
चरणों में बैठ के दादी के सच्चा सुख मिलता है,
मंदिर का कोना कोना अपना सा लगता है,
बिरमित्रापुर का मंदिर इक सपना सा लगता है,

रहती है यहा माहरणी सती ये घर है दादी का,
वैकुण्ठ से भी प्यारा ये मंदिर है दादी का,
सौरव मधुकर ये मैं ही नहीं सारा जग कहता है,
मंदिर का कोना कोना अपना सा लगता है,
बिरमित्रापुर का मंदिर इक सपना सा लगता है,
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