सूर्य से जिसने तेज है पाया

माँ छाया से दया मिली है,
सूर्ये से जिसने तेज है पाया,

शिव की तपस्या कर के शनि ने,
अतः शक्ति का वर है पाया,
माँ छाया से दया मिली है,
सूर्ये से जिसने तेज है पाया,

किरपा ये अपनी जिस पे करदे उसके ये खली भंडारे भर दे,
तेज से मिट जाए अंधियारे,
काल दोष सब इनसे है हारे,
मंगल ही मंगल करते है विपता को हरने वाले,
रोता हुआ जो धाम में आया खुशिया पाई और मुस्कुराया,
माँ छाया से दया मिली है,
सूर्ये से जिसने तेज है पाया,

जिसने जपा है नाम शनि का बुरे समय में श्रदा भाव के साथ हो,
उसको दियां है शनि देव ने हर मुश्किल हर विपदा में साथ,
दुखियो दीनो और अनाथो के बन के आये भगवन नाथ,
भाइयाँ साढ़े साती कटी है जिस ने शनि का धान लगाया ,
माँ छाया से दया मिली है,
सूर्ये से जिसने तेज है पाया,

क्यों डरता है क्यों तू गबराये शनि भगवान है तेरे सहाये,
अपना अर्पण कर दे तू इनको वधाओ  से मुक्ति मिल जाए.
तेरे दुखो को दूर करे गे सुख से भरपूर करेंगे,
ॐ श शनिशराये जपा है उसने मन वांछित फल पाया,
माँ छाया से दया मिली है,
सूर्ये से जिसने तेज है पाया,
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