हे माता चिंतापुरनिये साढ़े कारज रास करो

हे माता चिंतापुरनिये साढ़े कारज रास करो,
साढ़े कारज रास करो माँ पूरी आस करो,
हे माता चिंतापुरनिये साढ़े कारज रास करो,

ऐसी मंगते तेरे दर दे दिन रात हां अरजा करदे ,
साहनु खाली न मोड़ी बचैया दा दिल न तोड़ी,
हूँ करके दूर हनेरे,अपना प्रकाश करो,
हे माता चिंतापुरनिये साढ़े कारज रास करो,

असि हर संग्रांद नु आइये दस फेर क्यों खाली जाइये,
साडी आस न किती पूरी दसो की है मज़बूरी,
सुख वंड वालिये आके दुखा दा नाश करो,
हे माता चिंतापुरनिये साढ़े कारज रास करो,

चंचल ने जो कुछ केहन सब तनु सुनना  पैना,
ना अपने ले कुछ चाहवा तनु सब दा हाल सुनावा,
उचेया मंदिरा वालिये,साढ़े हिरदये वास करो
हे माता चिंतापुरनिये साढ़े कारज रास करो,
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