मेरे नटवर नन्द किशोर प्यारे आ जाओ माखन चोर

मेरे नटवर नन्द किशोर, प्यारे आ जाओ माखन चोर |
प्यारे आ जाओ, प्यारे आ जाओ ||

मेरे मोहन चले आओ, तेरी राधा बुलाती है |
तेरे बिन मेरा जी ना लगे, तेरी याद सताती है ||

प्रभु प्रेम के अक्षर ढाई  पड़े, पड़ना फिर आगे को वेद है क्या |
हसना कभी अश्रु विमोचन है, उर कंप शरीर में सेद है क्या ||
जब प्रेम परस्पर है हममे, चलो आओ मिले अब खेद है क्या |
तुम हो हम में, हम हैं तुम में, तुम में हम में फिर भेद है क्या||

तेरा दर्शन पाने को मेरे नैना तरसते हैं |
तेरी याद में यह श्यामा, दिन रात बरसते हैं |
यह विरह की अग्न्नी, मुझ रह रह जलती हैं ||

भूलने वाले से कोई कहदे जरा,
यूँ किसी को सताने से क्या फ़ायदा |
जब मेरे दिल की दुनिया बसाते नहीं,
हर घडी याद आने से क्या फायदा ||

चार तिनके जलाने से क्या फ़ायदा,
मिट सका ना मेरा वजूद |
मुझ पे बिजली गिराते तो कुछ बात थी,
आशिआना जलाने से क्या फ़ायदा |
देखते देखते तुम बदलते गए,
आते आते बड़ा इन्कलाब आ गया |
सहते सहते सितम से मैं घबरा गया,
जान ले लो रुलाने से क्या फ़ायदा |
तुने अंजामे उल्फत को देखा नहीं,
कोई होशिआरी भी काम आ ना सकी |
आँख लडती गयी, राज़ खुलते गए,
हाल-ए-दिल को छुपाने से क्या फ़ायदा |

चरणों की दासी हूँ, चरणों में ही रहना है |
जल्दी से चले आओ, श्याम तुमसे ही कहना है |
कहीं दम ना निकल जाए, मेरी नींद उड़ जाती है ||

द्वापर तो बीत गया, कलयुग भी जा रहा है |
अपनों को कोई ऐसे भला क्यूँ तड़पाता है |
कहीं रुत्त ना बदल जाए, मेरी आँख भर आती है ||
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