कालो के भी काल की जय बोलो महाकाल की

कालो के भी काल की जय बोलो महाकाल की,

माथे चंदा शीश पे गंगा गले नाग और भस्मी अंग,
पार्वती संग है शिव है विराजे हाथो तिरशूल डमरू साजे,
देव गंबर वाल की  जय बोलो महाकाल की,

नंदी नाचे भंगी नाचे जब जब शिव का डमरू भाजे,
रुदर रूप में शिव जब आते तीन लोक थर थर कप जाते,
माह रूद्र जटा ब्याल की  जय बोलो महाकाल की,

महाकाल महा देव की माया अब तक कोई समज न पाया,
शिव ने ऐसा रूप बनाया सब पर रहती शिव की छाया,
दीपा उठाये पालकी  जय बोलो महाकाल की,
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