मैं तो हूँ भिखारी बाबा तेरे द्वार का

मैं तो हूँ भिखारी बाबा तेरे द्वार का
टूटा हुआ फूल हूँ मैं तेरे हार का

बड़ी आस लेके दाता पास तेरे आयी हूँ
हाल क्या सुनाऊँ सारे जग की सताई हूँ
भूखा हूँ मैं खाटू वाले तेरे प्यार का
मैं तो हूँ भिखारी बाबा तेरे द्वार का

दानी कोई तेरे जैसा और नहीं दूजा है
इसीलिए घर घर में होती तेरे पूजा है
दुःख हारते हो सभी लाचार का
मैं तो हूँ भिखारी बाबा तेरे द्वार का

ात हैं सवाली जो भी उनकी झोली भरते हो
किसी को भी खाली नहीं दर से टाल देते हो
अर्ज़ी सुनलो अलका निखिल पाल का
मैं तो हूँ भिखारी बाबा तेरे द्वार का
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