तूने सब के काज सवारे माँ

तूने सबके काज, 'सवारे माँ ll',
कभी मेरे भी सवारो, तो जानू xll
(मेरे काज सवारों तो जानू xll )

कई भव से पार, 'उतारे माँ lll',
कई भव से पार, 'उतारे माँ ll',
कभी मुझे भी उतारो, तो जानू xll
( मुझे पार उतारो, तो जानू,
मेरे काज सवारो, तो जानू xll )

जग तेरा खेल, तमाशा माँ,
तेरी, जो इच्छा, तूँ कर सकती l
तूँ ज़रा सा हाथ, हिला कर के,
गागर में, सागर भर सकती ll
( गागर में सागर भर सकती xll )

तेरी ममता सब को, 'पुकारे माँ lll'
तेरी ममता सब को, 'पुकारे माँ ll',
कभी मुझे भी पुकारो, तो जानू xll
( कभी मुझे भी पुकारो, तो जानू xll
मुझे पार उतारो, तो जानू,
मेरे काज सवारों, तो जानू )

तेरी पड़े ज़रा सी, छाया तो,
माँ विष भी अमृत, हो जाता l
गुनाहगार, गुनाह से कर तौबा,  
तेरे ज्ञान में, हरदम खो जाता ll
( तेरे ज्ञान में, हरदम खो जाता llll )

ओ भक्तों के कष्ट, 'निवारे माँ lll'
भक्तों के कष्ट, 'निवारे माँ ll'
कभी मेरे भी निवारो, तो जानू xll
( कभी मेरे भी निवारो, तो जानू xll
मुझे पार उतारो, तो जानू,
मेरे काज सवारों, तो जानू )

तेरे एक इशारे, पर मईया,
धरती पर अम्बर, आ सकता l
यह सूरज, शीतल हो सकता,
चँदा भी आग, लगा सकता ll
( चँदा भी आग, लगा सकता llll )

तूँ दया से सब को, 'निहारे माँ lll'
तूँ दया से सब को, 'निहारे माँ ll'
मुझको भी निहारो, तो जानू xll
( मुझको भी निहारो, तो जानू xll )

ओ कई भव से पार, 'उतारे माँ lll',
कई भव से पार, 'उतारे माँ ll',
कभी मुझे भी उतारो, तो जानू xll
( मुझे पार उतारो, तो जानू,
मेरे काज सवारों, तो जानू xllxll )
अपलोडर- अनिल रामूर्ति भोपाल
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