चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार

चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार,
तन पे बसम रमा होक नंदी पे सवार,

उलझे लम्बे काले खोले ये जटाये,
शिव भोले भंडारी अध्भुत सा रूप बनाये,
पहने बंगमबार और फिर तिरशूल में डमरू लगाए,
पी कर भांग का प्याला है अखियां अपनी चढ़ाई,
बिस्तर काले नागो का पहने गले में हार,
चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार

अलबेल चले बारात अनोखे है बाराती,
भूतो और प्रेतों की चली टोली धूम मचाली,
सजधज के चुड़ैले चली चीख ती चिलाती,
नहीं कमर है फिर भी ये कुल अपना मटकाती,
मौसम है सुहाना और शाई है अज़ाब बाहर
चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार

भोले नाथ की बारात आई हीमा चल के द्वार,
अरे देख ते नैना को आ गया बुखार,
क्या ऐसे वर खातिर गोरा ने हर सोमवार,
पूजा किया और रखा था व्रत कितने ही वार,
हल चल सी मची घर में हुए बिभीत नैना,
चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार

नारद के कहने पे भोले रूप दिखलाया,
खुश हो कर सखियों ने फिर मंगला चार गया,
वर माला इक दूजे को गोरा शिव ने पहनाया,
हुआ व्याह सफल इनका अम्बर से फूल बरसाया,
हुई पर्सन देव नागरी कुंदन सारा संसार,
चले ब्याह रचाने रे करके भोला श्रृंगार
श्रेणी
download bhajan lyrics (724 downloads)