भोले शंकर को दूल्हा बनाओ ना

हल्दी लगाओ चन्दन लगाओ जल से स्नान कराओ
फूलों की तुम माला लाओ चंदा इनके माथे सजाओ
नंदी बुलाओ उसको सजाओ पाँव में उसके घुंघरू बंधाओ
जय भोले...........

भोले शंकर को दूल्हा बनाओ ना
घर गौरा के जानी  बारात है
ढोल ढपली नगाड़े बजाओ ना
आज मस्ती लुटाती ये रात है

खूब अच्छे से मेरे भोले का श्रृंगार करो
मेरे भोले पे क्या जंचेगा कुछ विचार करो
सबसे पहले इन्हे नेहलाओ अच्छी तरह से
भस्म को तन से हटाओ रगड़ रगड़ कर के
खूब चन्दन लगाके चमकाओ ना
घर गौरा के जानी बारात है

तेल बालों में लगाओ कोई खुशबू वाला
आँख में सुरमा लगाओ जी बरेली वाला
शेरवानी कोई पहनाओ ख़ास मुंबई की
सर पे दस्तार सजाओ पुराणी दिल्ली की
और पैरों में जूती पहनाओ ना
घर गौरा के जानी बारात है

ब्रह्मा विष्णु के मन में आज ख़ुशी छायी है
आज हमलोक में बजने लगी शहनाई है
देवता नभ सभी फूले नहीं समाते हैं
बाराती शिव के बने आज मुस्कुराते हैं
भांग की मटकी भर भर पिलाओ ना
घर गौरा के जानी  बारात है

जो भी देखे मेरे भोले को देखता ही रहे
ऐसा दूल्हा कहीं देखा न सुना बस ये कहें
और अच्छे से नज़र इनकी उतारी जाए
नून मिर्ची के साथ राई भी वारि जाए
कोई आके साहिल को समझाओ ना
घर गौरा के जानी  बारात है
भोले शंकर को दूल्हा बनाओ ना ............
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