ये सूंदर शृंगार सुहाना लगता है

ये सूंदर शृंगार सुहाना लगता है,
भगतो का तो दिल दीवाना लगता है,
ऐसे न देखो नजर लग जायेगी,
ये कीर्तन की रात दोबारा ना आएगी,
ये सूंदर शृंगार सुहाना लगता है,

हज़ारो बार है देखा हज़ारो बार सजते हो,
मगर क्या बात है कान्हा गज़ब के आज लगते हो,
ये सूंदर चेहरा सुहाना लगता है,
भगतो का तो दिल दीवाना लगता है,

अगर हम दूर से देखे तो कान्हा पास लगते हो,
अगर नजदीक से देखे तो कान्हा ख़ास लगते हो,
ये तेरा अंदाज पुराना लगता है,
भगतो का तो दिल दीवाना लगता है,

नजारा देख कर मुझको कोई सपना सा लगता है,
नया चेहरा तेरा कान्हा मुझे अपना सा लगता है,
बदले गा जल्दी ज़माना लगता है,
भगतो का तो दिल दीवाना लगता है,

उछालो रंग वनवारी दीवाना आज कर डालो,
जरा मुस्का के देखो न नजर के तीर मत मारो,
भक्तो के दिल पे निशाना लगता है
भगतो का तो दिल दीवाना लगता है,
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