कान्धे पे कांवर लेलो

कान्धे पे कांवर लेलो भोल बम का नारा बोलो,
हर हर महादेव दिल में भगती का रस तू घोलो.
देवदार में शिव जी विराजे शिवलिंग पत्थर से साजे,
महिमा है जिनके अनंता वही है शब्द ग्रेह्नता भांग धतुरा खा के ढोले,
कान्धे पे कांवर लेलो.....

जिनके तिरशूल पे काशी है वो सन्यासी,
मिरग शाला वस्र्ट पहनती है वो केलाशी,
शिव शम्भू नाम है उनका है नही घर द्वार जिनका,
जिनके बिना न हिले तिनका तिनका,
विष तो पिया है प्याला जाही है डमरू वाला,
नीलकंठ ये नाम सुहाता सारे भगतो को भाता,
कार्तिक गणेश संग में गोरा माता,
कान्धे पे कांवर लेलो..............

सर्पो की गले में माला माथे पे चंदा,
भस्मो की लेप लगा कर होती है चंगा,
वस् हा सवारी करते काल भी उनसे डरते,
जिसकी भी छाया पड़ी पड़ते पड़ते,
के ती गई है महिमा शिव जी की प्यारी प्यारी,
लिखा है रोहित अपने कलमो से न्यारी न्यारी,
आई हु आपने दर पे चल के चल के,
कान्धे पे कांवर लेलो
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