अपना हरी है हज़ार हाथ वाला ओ दीन दयाला

अपना हरी है हज़ार हाथ वाला ओ दीन दयाला,
मैं कहता डंके की चोट पर ध्यान से सुनियो लाला,
अपना हरी है हज़ार हाथ वाला ओ दीन दयाला,

कौन बटोरे कंकर पत्थर जब हो हाथ में हीरा,
कंचन सदा रहेगा कंचन और कथीर कथीरा,
साँच के आगे झूठ का निकला हर दम यहाँ दिवाला,
अपना हरी है हज़ार हाथ वाला ओ दीन दयाला

कोई जुका नहीं सकता जग में अपने प्रभु का झंडा ,
जो उसको छेड़े गा उसके सिर पे पड़े गा डंडा,
युगो युगो इस धरती पर इसी का है बोल बाला,
अपना हरी है हज़ार हाथ वाला ओ दीन दयाला
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