शिव तो ठहरे सन्यासी गौरां पछताओगी

शिव तो ठहरे सन्यासी, गौरां पछताओगी ll
भटकोगी वन वन में, घर नहीं पाओगी
शिव तो ठहरे सन्यासी,,,,,,,,,,,,,,

गौरां तेरे दुल्हे का, घर न दुहरिया है ll
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे, कैसे रह पाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,,,,,,,,,,,,,,

गौरां तेरे दुल्हे की, माँ ना बहनिया है ll
भूत प्रेतालों संग, कैसे रह पाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,,,,,,,,,,,,,,

गौरां तेरे दुल्हे के, गहने ना कपड़े हैं ll
काले काले नागों को, देख डर जाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,,,,,,,,,,,,,,

गौरां तेरे दुल्हे की, मोटर ना गाड़ी है ll
बूढ़े बैल नंदी पे, कैसे चढ़ पाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,,,,,,,,,,,,,,

जैसा पति मुझ को मिला, वैसा पति सब को मिले ll
उसके दर्शन से, सब तर जाओगी,
शिव तो ठहरे सन्यासी,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिल रामूर्ति भोपाल
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