श्यामा श्याम रटू मैं सुबह शाम रे

जबसे नैनो में तुम बस गये सँवारे,
मैंने पलकों पे काजल लगाया नहीं,
श्यामा श्याम रटू मैं सुबह शाम रे,
और कोई मुझे याद आया नहीं,
जबसे नैनो में तुम बस गये सँवारे,

तुझको देखा तो बस देखती रह गई,
मैं याहा थी वही खड़ी रह गई,
जा रही थी कहा और था क्या काम रे,
मुझको तुमने भी तो बताया नहींम
श्यामा श्याम रटू मैं सुबह शाम रे...

तू ये माने ना माने है मर्जी तेरी ,
बैठ के पास सुनले ये अर्जी मेरी,
जबसे दिल पे लिखा है तेरा नाम रे,
फिर किसी को दिल में वसाया नहीं
श्यामा श्याम रटू मैं सुबह शाम रे,

जब कहे तो कहे मुझको पगली तेरी,
मेरी मनत है बन जाऊ कमली तेरी,
चाहे जो हो सो हो अब तो अंजाम रे,
प्रेम तुमसे किया तो छुप्या नहीं
श्यामा श्याम रटू मैं सुबह शाम रे,
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