जहाँ पाँच देव बसते हैं

जहाँ पाँच देव बसते हैं,उस धाम के लिये,
श्रद्धा से शीश झुका लो गंगा राम के लिये,

जन जन के दुःख हरने को ये धरती पर है आया,
सच और धर्म का इस ने कलयुग में दीप जलाया,
इस कलि मल हारी दानी दया वान के लिये,
श्रद्धा से शीश झुका लो गंगा राम के लिये,

दुनिया को हुआ अचम्बा कैसी लीला दिखलाई,
जब चिता से हाथ उठा कर सेवक की लाज बचाई,
अपने इस लीला धारी भगवान् के लिये,
श्रद्धा से शीश झुका लो गंगा राम के लिये,

हर पल इनके चरणों की सेवा में बैठे रहते,
है नामदेव की नंदन हम भक्त सिरोमनि कहती,
सोनू कहे कलयुग के इस हनुमान के लिये,
श्रद्धा से शीश झुका लो गंगा राम के लिये,
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