शेरावाली के दरबार से

शेरावाली के दरबार से जब से जुड़ा है नाता,
मैं माँ को दिल से मनाता हु झोली में खुशिया पाता हु,
होते सपने साकार मेरे मैं मन चाहा फल पाता जब जुड़ा है नाता,
शेरावाली के दरबार से जब से जुड़ा है नाता,

सूंदर मुझको परिवार मिला और बड़ो का प्यार मिला,
ऐसी किरपा माँ ने करदी खुशियों से भरा संसार मिला,
माँ से ही मेरी शान है माँ से मेरी पहचान है,
ये माँ के रमो कर्म से जग में रक्त भ हो पाता,जब जुड़ा है नाता,
शेरावाली के दरबार से जब से जुड़ा है नाता,

भक्ति से भरा जीवन है दिया मुझे अपने दिल में स्थान दिया,
हर सुख देकर माँ ने मुझको इस जग में मेरा उथान दियां,
मुझे सच्ची राह दिखाई माँ का नाम बड़ा सुख दाई,
मैं जब भी माँ को भाता मेरा बिगड़ा काम बन जाता,जब जुड़ा है नाता,
शेरावाली के दरबार से जब से जुड़ा है नाता,

मेरे सिर पे हाथ धरा माँ ने मेरा जीवन धन किया माँ ने,
मेरे संकट दूर किये माँ ने मेरा हर पल साथ दिया माँ ने,
मैं जब भी शरण में जाता हु मैं माँ के ही गुण जाता हु,
मैं दास पवन माँ के चरणों में हर पल शुकर मनाता,जब जुड़ा है नाता,
शेरावाली के दरबार से जब से जुड़ा है नाता,
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