घर घर अलख जगाते देखा मैंने इक फ़कीर

शिरडी की गलियों में देखा मैंने इक फ़कीर,
घर घर अलख जगाते देखा मैंने इक फ़कीर,

जिस घर पूजा होती साई सुनती उसकी माई,
कोई कमी ना रहती उसके बैठे है मेरे साई,
कोना कोना अमृत बरसे जिस घर हो तस्वीर,
घर घर अलख जगाते देखा मैंने इक फ़कीर,
शिरडी की गलियों में देखा मैंने इक फ़कीर,

श्रद्धा का अंचल बिछा भाव की ज्योत जगा,
शिरडी उसका घर है तेरा थोड़ा ध्यान लगा,
दौड़ा आया मेरा साई बदले गा तकदीर
घर घर अलख जगाते देखा मैंने इक फ़कीर,
शिरडी की गलियों में देखा मैंने इक फ़कीर,

फूलो की लड़ियो से बाबा बंधन वार सजाया,
मेरा भी हो सपना पूरा ये दरबार लगाया,
आस तुम ही विश्वाश तुम ही जो शीतल गंगा नीर,
घर घर अलख जगाते देखा मैंने इक फ़कीर,
शिरडी की गलियों में देखा मैंने इक फ़कीर,

मांग ने वाले लाख है और देने वाला इक,
मन्नत के धागे बंधे मेरी जन्नत शरडी एक,
सजन जन्म अमानत मेरी साई की जागीर,
घर घर अलख जगाते देखा मैंने इक फ़कीर,
शिरडी की गलियों में देखा मैंने इक फ़कीर,
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