मझधार फंसी नैया

(तर्ज:-एक प्यार का नगमा है)

मझधार फॅसी नैया,
तुम पार लगाते हो,
कोई करुण पुकार करे
दौङे चले आते हो,

जब कोई न था मेरा
मैंने तुझे पाया है।
तुने ही प्रभु मेरा
जीवन महकाया है,
मैं इसीलिए कहता
मेंरे दिल को तुं भाते हो,

तेरी शरण मिली जब से
जीने का मजा आया,
रोती हुई ऑखों को
तुने हॅसना सिखलाया,
जीवन के दो राहे पर
रस्ता दिखलाते हो,

जिसे लगन लगी तेरी,
क्या से क्या कर डाला,
उसका प्यारे तुने
जीवन ही बदल डाला,
अपने प्रेमी को तुम
हाथों से सजाते हो,

श्रद्धा और भक्ति से,
मेरा दामन भर देना,
विश्वास नहीं टूटे,
प्रभु इतनी कॄपा रखना,
"बिन्नू "और "आयुष "को
प्रभु तुं ही निभाते हो,
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