baith shingasan mahaari maiya khub luta rahi pyar hai
झुंझन वाली रानी सती का प्यारा सजा दरबार है
बैठ शिंगासन म्हारी मैया खूब लुटा रही प्यार है,
झुंझन वाली मैया तेरी महिमा अपरमपार है ओड चुनरियाँ शज धज बैठी खूब सजो दरबार है
मेहँदी रची थारे हाथा में देखो कईया लाल है
बैठ शिंगासन म्हारी मैया खूब लुटा रही प्यार है,
मात भवानी की किरपा से चाले घर परिवार है
दुखडो सारो मिट जावे जब लेवा दादी नाम है
ये दुनिया माया नगरी चारो तरफ ही जाल है
बैठ शिंगासन म्हारी मैया खूब लुटा रही प्यार है,
दादी की किरपा की लीला देखो सब से न्यारी है
पल में भर देती ये झोली देर कभी न लगाती है,
निखिल शरण में इनके मिलता भगतो को आराम है
बैठ शिंगासन म्हारी मैया खूब लुटा रही प्यार है,