यशोदा मैया तेरा कन्हैया जरा भी

यशोदा मैया तेरा कन्हैया जरा भी बाज ना आए
इसे क्या हो गया है
किसी का माखन किसी की निंदिया किसी का चैन चुराए
इसे क्या हो गया है

माखन नहीं क्या इसके
काहे सखा संग घर-घर डोलता
छींके पे टंगी है मटकी फिर भी निगोड़ा नहीं छोड़ता
आप खाए और सब को खिलाएं
ऐसे हमें सताए इसे क्या हो गया है

बीच बजरिया मेरी पकड़े कलाई बड़ी जोर से
संग की सहेली मेरी मुड़ मुड़ के देखे मुझे गौर से
उठाके घूंघट निहारे नटखट नैन से नैन मिलाए
इसे क्या हो गया है।

कैसे कहूं री तोसों लाज लगत है मेरी जात को
रोकूं तो कैसे रोकूं माने ना मेरी एक बात को
चीर चुराए छिप छिप जाए कैसे लाज बचाएं
इसे क्या हो गया है
यशोदा मैया तेरा कन्हैया,,,,,,

भजन श्री विनोद अग्रवाल जी

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