sanchi kahe tore awan se hamare nagari me aai bahar guru ji
साँची कहे तोरे आवन से हमरे नगरी में आई बहार गुरु जी,
करुना की सूरत समता की सूरत लाखो में एक हमार गुरु जी,
गुरु वर पुलक सागर जी हमारे जब से इस नगरी में पधारे,
ढोल नगाड़े बजते है दवारे छाई है खुशिया अपार गुरु जी,
साँची कहे तोरे आवन से हमरे ........
संध्या सकारे लगे भगती का मेला कोई ना बेठे अब घर में अकेला,
पूजन भजन के स्वर गूंज ते है अब तो हमारे घर द्वार गुरु जी,
साँची कहे तोरे आवन से हमरे..........
मालवा की माटी को चंदन बनाया आके यहाँ जो प्रवास रचाया,
तन मन से एसी सेवा करे गये देखा गा सारा संसार गुरु जी,
साँची कहे तोरे आवन से हमरे ......