बिकते सदा हो सांवरे भगतों के प्यार में

मिलना जो श्याम से चाहो तो दिल में आस पैदा कर,
जो पल पल उनके गाये वो स्वास पैदा कर ।
नहीं दिखेगा तुझे वो इन दुनयावी आँखों से,
दर्शन जो करना चाहो तो दिल में आँख पैदा कर ॥

बिकते सदा हो सांवरे भगतों के प्यार में,
खाते हो सूखी रोटीआं दीनो के द्वार पे ।

जीता तुझे सुदामा ने तंदुल की आड़ में,
बदले में तूने दे दिया, छप्पर ही फाड़ के ।

बैठी थी शबरी राम जी, तेरे इंतज़ार में,
जूठे ही बेर खा लिए भीलनी के प्यार में ।

रूठी जो बेटी जाट की तुझको पुकार के,
खीचड़ तू उसका खा गया परदे की आड़ में ।

अमृत भरा था हर्ष क्या प्रेमी के साग में,
खाने गया विदुर के घर मेवों को त्याग के ।
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