तेरे दरबार में झुकता है साईं सर मेरा

तेरे दरबार में झुकता है साईं सर मेरा ।
तेरे लिए जान भी हाजिर है, सर क्या हैं मेरा ॥

तेरी रहमत, तेरी रज़ा है तकदीर मेरी ।
तेरी इबादत से पलतीं हैं लकीरें मेरी ।
रुख फिज़ा का बदल जाता हो इशारा तेरा ॥

तेरी राहो में है मंजिल साईं मेरी ।
मुडती जैसे हैं ये राहें वैसे किस्मत मेरी ।
यह गुजारिश हैं मेरे सर पे हाथ रहे तेरा ॥

आशिआना तेरा साईं है दर मेरा ।
बंदगी है तेरी साईं अब करम मेरा ।
सबसे कहता मैं फिरता हूँ, साईं है मेरा ॥
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