छोड़ झमेला झूठे जग का

छोड़ झमेला झूठे जग का, कह गए दास कबीर ।
पार लगायेंगे एक पल में तुलसी के रघुवीर ॥

भूल भुलयिया जीवन तेरा, साचो नाम प्रभु को ।
मन में बसा ले आज तू बन्दे, ले कर नाम गुरु को ।
सूरदास के श्याम हरेंगे जनम जनम की पीड़ ॥

तेरा मेरा दिन भर करता, पर तेरा कछु नहीं ।
माटी का यह खेल है यह सारा, मिलेगा माटी माहि ।
मीरा जी के ईश बुलाये सब को यमुना तीर ॥
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