हे माँ मुझको ऐसा घर

हे माँ मुझको ऐसा घर दे,
जिसमे तुम्हारा मंदिर हो।
ज्योत जगे दिन रात तुम्हारी,
तुम मंदिर के अन्दर हो॥

माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ
बोलो रे
माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ

जय जय माँ, जय जय माँ
जय जय माँ…, जय जय माँ…
जय जय माँ, जय जय माँ

इक कमरा जिसमे तुम्हारा,
आसन माता सजा रहे।
हर पल हर छिन भक्तो का
वहां आना जान लगा रहे॥

छोटे बड़े का माँ उस घर में,
एक सामान ही आदर हो।
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी,
तुम मंदिर के अन्दर हो॥

हे माँ मुझको ऐसा घर दे,
जिसमे तुम्हारा मंदिर हो।
ज्योत जगे दिन रात तुम्हारी,
तुम मंदिर के अन्दर हो॥

माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ
बोलो रे
माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ

इस घर से कोई भी खाली,
कभी सवाली जाए ना।
चैन ना पाऊं तब तक दाती,
जब तक चैन वो पाए ना॥

मुझको दो वरदान दया का,
तुम तो दया का सागर हो।
ज्योत जगे दिन रात तुम्हारी,
तुम मंदिर के अन्दर हो॥

हे माँ मुझको ऐसा घर दे,
जिसमे तुम्हारा मंदिर हो।
ज्योत जगे दिन रात तुम्हारी,
तुम मंदिर के अन्दर हो॥

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