करम की गति न्यारी न्यारी संतो

करम की गति न्यारी न्यारी, संतो।

बड़े बड़े नयन दिए मिरगन को,
बन बन फिरत उधारी॥

उज्वल वरन दीन्ही बगलन को,
कोयल लार दीन्ही कारी॥

औरन दीपन जल निर्मल किन्ही,
समुंदर कर दीन्ही खारी॥

मूर्ख को तुम राज दीयत हो,
पंडित फिरत भिखारी॥

मीरा के प्रभु गिरिधर नागुण
राजा जी को कौन बिचारी॥
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