मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी

मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ,
ये हैं अंसुवन की धार, ना समझ तू पानी ,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।

जितने बहेंगे आंसू तेरे लिए सांवरे,
कर्ज चढ़ेगा तुझपे उतना ही जानले,
कीमत हर आंसू की पड़ती है चुकानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।

यहां भीगे पलके मेरी वहाँ मुस्कुराये तू ,
भगतों के दिल को बाबा और क्यूँ जलाये तू ,
क्या इसी को कहते हैं प्रभु प्रीत निभानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।

माना के ये आंसू ‘सोनू’ होते बेजुबान हैं,
लेकिन ये हाल दिल का करते बयान हैं,
पत्थर को गला देता ये खारा पानी,
मेरी सुनले करुण पुकार ओ शीश के दानी ।

भजन गायक - मधुकर
गीतकार - सुनील गुप्ता 'सोनू'
अभिनय - सौरभ
संपर्क - 9831258090
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